tft display vs amoled in hindi in stock

आपके स्मार्टफोन की डिस्प्ले के बारे में आप कितना जानते हैं? डिस्प्ले के नाम जैसे कि AMOLED, OLED, LCD, TFT के बारे में आप कितना विस्तार से जानते हैं? इनके नाम बहुत छोटे हैं, लेकिन इनमें से कौन-सा बेहतर है, किस रिफ्रेश रेट के साथ आता है, रेज़ॉल्यूशन कितना है इन सब सवालों को जानकर यदि आप अपने लिए स्मार्टफोन चुनना चाहते हैं तो आपके इन सभी प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे यहाँ।

पिछले कुछ सालों में स्मार्टफोन की डिस्प्ले काफी बेहतर हुई हैं। लेकिन प्रत्येक स्मार्टफोन डिस्प्ले के साथ जो शार्ट-फॉर्म एक संक्षिप्त नाम जुड़ता है, जैसे कि AMOLED, LCD, इत्यादि वो केवल नाम नहीं बल्कि अपने आप में एक तकनीक है। स्मार्टफोन पर लगे पैनल AMOLED, OLED, LED, LCD, IPS, TFT, LTPS, इत्यादि होते हैं। ये सभी पूर्णत: अलग होते हैं।

पहले ही इतने टाइप के पैनल मौजूद हैं, ऐसे में स्मार्टफोन निर्माता द्वारा फैंसी नामों का इस्तेमाल जैसे कि Apple द्वारा Super Retina XDR और Samsung द्वारा Dynamic AMOLED ग्राहकों के बीच भ्रम या असमंजस को और बढ़ा देता है।

डिस्प्ले के टाइप तो बहुत सारे हैं जैसे कि TFT, LTPS, AMOLED, OLED, IPS, LCD इत्यादि। लेकिन इन दिनों TFT, LTPS जैसी डिस्प्ले काफी कम हो गयीं हैं। किफ़ायती दामों पर और मिड-रेंज में आने वाले फोनों में आपको IPS LCD डिस्प्ले मिलेगी। लेकिन इन सबका विस्तार से समझें, तो मतलब क्या है ?

अगर संक्षिप्त रूप से और आसान भाषा में समझें तो दो तरह की टेक्नोलॉजी- एलसीडी (LCD) और ओलेड (OLED) बाज़ार में आ रहीं हैं। प्रत्येक में कुछ विभिन्न प्रकार और जनरेशन हैं जो बाकी के स्क्रीन टाइप शार्ट फॉर्म को बनाती हैं। इसी तरह टेलीविज़न की दुनिया में भी अलग स्क्रीन टाइप उपलब्ध हैं जैसे कि LED, QLED, miniLED – ये सब दरसअल एलसीडी (LCD) तकनीक के ही अलग अलग रूप हैं जिनमें थोड़ी विविधताएं हैं।

LCD का मतलब या फुल फॉर्म है लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (Liquid Crystal Display)। इसमें लिक्विड क्रिस्टल्स की एक श्रंखला दी जाती है जिसके पीछे एक बैकलाइट होती है। इस डिस्प्ले टाइप का हर जगह आसानी से उपलब्ध होना और कम दामों में इसका निर्माण इसे स्मार्टफोनों के लिए एक प्रचलित विकल्प या पसंद बनाता है।

स्मार्टफोनों में आपको दोनों डिस्प्ले TFT और IPS मिलती हैं। TFT का फुल फॉर्म है – Thin Film Transistor, जो LCD का ही एक बेहतर या एडवांस्ड वर्ज़न है, जो एक एक्टिव मैट्रिक्स (active matrix) का इस्तेमाल करता है। active matrix का अर्थ है कि प्रत्येक पिक्सेल एक अलग ट्रांजिस्टर और कपैसिटर से जुड़ा होता है।

TFT डिस्प्ले का सबसे बड़ा फायदा यही है कि इसके प्रोडक्शन में तुलनात्मक कम खर्च होता है और इसमें असल LCD के मुकाबले ज्यादा कॉन्ट्रास्ट मिलता है। वहीं TFT LCD में नुकसान ये है कि इन्हें रेगुलर LCD प्रकारों के मुकबाले ज्यादा एनर्जी यानि बैटरी चाहिए, इनके व्यूिंग एंगल और रंग भी इतने अच्छे नहीं होते। इन्हीं सब कारणों से बाकी डिस्प्ले विकल्पों की गिरती कीमतों के कारण अब TFT डिस्प्ले का इस्तेमाल स्मार्टफोनों में नहीं किया जाता।

TFT(Thin Film Transistor) – ये भी LCD डिस्प्ले का ही एक प्रकार है जिसमें नीचे एक पतली सेमीकंडक्टर की परत होती है जो हर एक पिक्सल पर रंगों को नियंत्रित करने का काम करता है। इसका और AMOLED में आने वाले AM यानि कि active matrix का काम लगभग एक ही है।

LTPS(Low Temperature PolySilicon) – ये भी Si (amorphous silicon) तकनीक पर आधारित TFT का ही वैरिएंट है जिसमें आपको हाई रेज़ॉल्यूशन मिलता है और ऊर्जा यानि कि पॉवर साधारणत: TFT से कम लेता है।

IGZO(Indium Gallium Zinc Oxide) – ये भी एक सेमिकंडक्टर मैटेरियल है जो डिस्प्ले के नीचे लगी फिल्म में इस्तेमाल होता है और आजकल a semiconductor material used in TFT films, which also allows higher resolutions and lower power consumption, and sees action in different types of LCD screens (TN, IPS, VA) and OLED displays

LTPO( Low Temperature Polycrystaline Oxide) – इस टेक्नोलॉजी को Apple ने डेवेलप किया है और इसे वर्तमान समय में OLED और LCD दोनों तरह की स्क्रीन में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें LTPS और IGZO दोनों तकनीकों का इस्तेमाल मिलाकर किया जाता है और नतीजा होता है – डिस्प्ले द्वारा पॉवर का कम इस्तेमाल। ये Apple Watch 4 और Galaxy S21 Ultra में आयी है।

IPS तकनीक को In-Plane Switching तकनीक कहते हैं। IPS टेक्नोलॉजी ने सबसे पहले आयी LCD डिस्प्ले में आने वाली समस्या को दूर किया जिसमें TN तकनीक का इस्तेमाल होता था और इसमें साइड से देखने पर रंग बहुत ख़राब नज़र आते थे। ये कमी ज़्यादातर सस्ते स्मार्टफोन और टैबलेटों में नज़र आया करती थी।

PLS (Plane to Line Switching) – PLS और IPS के नाम या उनके फुल फॉर्म लगभग एक ही जैसे लगते हैं। लेकिन इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है क्योंकि इनका मुख्य कार्य भी एक समान ही है। PLS टेक्नोलॉजी को Samsung Display द्वारा बनाया गया है और IPS डिस्प्ले की ही तरह इसकी विशेषता भी डिस्प्ले पर अच्छे रंग दर्शाना और बेहतर व्यूइंग एंगल दिखाना ही हैं। लेकिन इसमें OLED और LCD/VA डिस्प्ले के मुकाबले कॉन्ट्रास्ट थोड़ा कम है।

Samsung Display का कहना है कि PLS पैनलों के उत्पादन में लागत कम लगती है, ब्राइटनेस लेवल अच्छा मिलता है और प्रतियोगी कंपनी LG Display के IPS पैनलों के मुकाबले व्यूइंग एंगल भी काफी अच्छे मिलते हैं। अंतत: PLS पैनल का उपयोग किया जाए या IPS पैनल का इस्तेमाल करें, ये पूरी तरह से स्मार्टफोन निर्माताओं पर निर्भर करता है।

AMOLED की फुल फॉर्म – एक्टिव मैट्रिक्स ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड (Active Matrix Organic Light-Emitting Diode) है। हालांकि ये सुनने में बहुत मुश्किल नाम लग रहा होगा, लेकिन ये है नहीं। हम पहले ही TFT LCD टेक्नोलॉजी में एक्टिव मैट्रिक्स के बारे में पढ़ चुके हैं और अब रहा OLED, तो ये केवल एक पतली फिल्म वाली डिस्प्ले तकनीक है और कुछ नहीं।

और क्योंकि OLED डिस्प्ले में काले पिक्सल बंद हो जाते हैं, उनमें करंट नहीं आता, इसीलिए कॉन्ट्रास्ट लेवल भी LCD डिस्प्ले के मुकाबले ज्यादा मिलता है। AMOLED डिस्प्ले में रिफ्रेश रेट तो ज़्यादा मिल जाता है, लेकिन वहीँ LCD डिस्प्ले को, AMOLED की तुलना में ज्यादा ब्राइट बनाया जा सकता है। क्योंकि ये एक ऑर्गेनिक मैटीरियल से बने होते हैं, एक लम्बे समय के इस्तेमाल के बाद इनकी ब्राइटनेस घटने लगती है जिससे कई बार स्क्रीन बर्न-इन जैसी समस्याएं भी आ सकती हैं। हालाँकि ये समस्या पुराने स्मार्टफोनों में ज्यादा आती थी, अब ऐसा ना के बराबर होता है।

वहीँ इसकी अच्छी बात ये है कि AMOLED डिस्प्ले LCD के मुकाबले पतली होती हैं क्योंकि इनमें अंदर बैकलिट की परत लगाने की ज़रुरत नहीं पड़ती और इन्हें फ्लेक्सिबल यानि कि लचीला भी बनाया जा सकता है।

OLED को- Organic Light Emitting Diode कहते हैं। एक OLED डिस्प्ले electroluminescent मैटीरियल की पतली शीट से बनी होती है, जिसका सबसे बड़ा फायदा यही है कि ये अपनी रौशनी खुद पैदा करते हैं और इन्हें बैकलाइट की ज़रुरत नहीं पड़ती, जिससे ऊर्जा या बिजली की ज़रुरत कम पड़ती है। यही OLED स्क्रीन जब स्मार्टफोन या टीवी के लिए उपयोग होती है तो इसे ज़्यादातर AMOLED डिस्प्ले के नाम से जाना जाता है।

जैसे कि हमने पहले भी बताया AMOLED में AM एक्टिव मैट्रिक्स (Active Matrix) के लिए इस्तेमाल होता है। हालाँकि ये पैसिव मैट्रिक्स (Passive Matrix) OLED से अलग होता है जिसे p-OLED कहा जाता है। ये स्मार्टफोनों में थोड़ा कम प्रचलित है।

वहीं Super AMOLED, दक्षिणी कोरियाई कंपनी Samsung द्वारा दिया गया है एक नाम है जो अब कंपनी के मिड-रेंज से प्रीमियम रेंज के स्मार्टफोनों में देखने को मिलता है। IPS LCD की ही तरह, Super AMOLED डिस्प्ले में साधारण AMOLED डिस्प्ले पर टच रिस्पांस लेयर को जोड़कर एक किया जाता है, इसमें अलग से एक परत नहीं लगाई जाती। और इसका नतीजा ये होता है कि Super AMOLED स्क्रीन सूरज की रौशनी या आउटडोर में AMOLED के मुकाबले बेहतर नज़र आती हैं और साथ ही ये पावर भी कम लेती हैं।

जैसे कि Samsung ने इस स्मार्टफोन डिस्प्ले टाइप का नाम -Super AMOLED रखा है। साधारण भाषा में ये AMOLED स्क्रीन का सुधार किया गया या कहें कि बेहतर वर्ज़न है। और ये केवल मार्केटिंग के लिए मारने वाली डींगें नहीं हैं, बल्कि कई उत्पादों की समीक्षा (review) करने बाद, तथ्य यही है कि Samsung की डिस्प्ले बाज़ार में सबसे उत्तम श्रेणी में आती हैं।

वहीँ इसकी तकनीक में किये गए सबसे नए विकास या सुधार को कंपनी ने Dynamic AMOLED का नाम दे दिया। . हालांकि Samsung ने इसके बारे में कभी विस्तार से नहीं बताया है लेकिन इतना साफ़ कर दिया है कि इस तरह की डिस्प्ले में HDR10+ सर्टिफिकेशन शामिल होता है जिसके साथ आपको स्क्रीन पर रंगों और कॉन्ट्रास्ट की एक वाइड रेंज मिलती है। साथ ही इसमें ब्लू लाइट कम होती जिससे ये डिस्प्ले आँखों के लिए ज्यादा आरामदायक हो।

ठीक इसी तरह OnePlus ने भी हाई-एंड स्मार्टफोनों के लिए नाम रखा है – Fluid AMOLED, जिसमें हाई रिफ्रेश रेट ही इसकी ख़ास बात है, इसमें कोई और अंतर नहीं होता। उदाहरण के लिए – डिस्प्ले अगर 120Hz रिफ्रेश रेट के साथ आएगी तो उसमें आपको और ज्यादा स्मूथ एनीमेशन मिलेगा।

पिक्सल डेंसिटी की बात करें तो, 2010 में iPhone 4 के लॉन्च के समय Apple का मुख्य आकर्षण यही था। इस स्मार्टफोन डिस्प्ले में कंपनी ने LCD डिस्प्ले का इस्तेमाल किया। इस LCD पैनल ((LED, TFT, और IPS) को हाई रेज़ॉल्यूशन (उस समय पर 960 X 640 पिक्सल्स) के साथ Retina Display का नाम दिया। इस फ़ोन में 3.5 इंच की डिस्प्ले थी।

उस समय पर Apple के मार्केटिंग डिपार्टमेंट ने Retina Display नाम इसलिए चुना क्योंकि कंपनी के अनुसार एक निश्चित दूरी से हमारी या किसी भी इंसान की आंखें अलग-अलग पिक्सल में फर्क नहीं कर पाती। iPhones के केस में, ये नाम तब इस्तेमाल होता था जब फ़ोन की डिस्प्ले पर 300 ppi (pixel per inch) से ज्यादा होती थी।

तब से, अन्य स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों ने भी यही तरीका अपनाया और हाई रेज़ॉल्यूशन वाले पैनलों को अपनाना शुरू कर दिया। जबकि iPhone 12 Mini में 476 dpi और Sony Xperia 1 में 643 dpi मिलती है।

जब सबने हाई रेज़ॉल्यूशन के साथ डिस्प्ले लेना आरम्भ कर दिया, फिर Apple ने खुद को भीड़ में अलग करने के लिए अपने प्रीमियम स्मार्टफोनों में इस्तेमाल होने वाली OLED डिस्प्ले को “Super Retina” का नाम दे दिया। ये डिस्प्ले iPhone X और उसके बाद आने वाले फोनों में आयी है। ये डिस्प्ले हाई कॉन्ट्रास्ट रेट और डिस्प्ले पर रंगों की सटीकता के लिए जानी जाती है, और ऐसी ही स्क्रीन Samsung के S-सीरीज़ के स्मार्टफोनों में भी आप देख सकते हैं।

इसके बाद कंपनी ने iPhone 11 Pro के साथ डिस्प्ले का नया नाम भी लॉन्च किया – “Super Retina XDR”। इसमें भी वही OLED पैनल का उपयोग किया गया है, लेकिन इसे पैनल का निर्माण Samsung Display या LG Display द्वारा हुआ है। इसमें आपको 2,000,000:1 रेश्यो के साथ और भी बेहतर कॉन्ट्रास्ट लेवल और 1200 nits की ब्राइटनेस मिलते हैं और ये ख़ासकर HDR कंटेंट के लिए अनुकूल हैं।

वहीं iPhone XR और iPhone 11 के ग्राहकों को भी खुश रखने के लिए कंपनी ने इनमें आने वाले LCD पैनल को “Liquid Retina” का नाम दे दिया। बाद में यही डिस्प्ले कंपनी स्टैण्डर्ड के अनुसार बेहतर रेज़ॉल्यूशन और सही रंगों के साथ iPad Pro और iPad Air मॉडल में भी आया।

अंतरराष्ट्रीय प्रणाली या सिस्टम में Nit या कैंडेला प्रति वर्ग मीटर (candela per square meter), जलने या निकलने वाली रौशनी की तीव्रता या गहनता (intensity) को मापने की यूनिट है। अधिकतर स्मार्टफोन, टैबलेट, मॉनिटर के बारे में जब हम बात करते हैं तो ये यूनिट बताती है कि डिस्प्ले कितना ब्राइट है। इसकी वैल्यू जितनी ज्यादा होगा, डिस्प्ले पर पिछले से पड़ने वाली रौशनी की तीव्रता भी उतनी ही ज्यादा होगी।

टेलीविज़न की दुनिया में, miniLED के बारे में हम जान चुके हैं और ये फ़ीचर या तकनीक टीवी में हम देखते ही आ रहे हैं। इसमें बैकलाइट में लाइटिंग ज़ोन का नंबर बढ़ा दिया जाता है। लेकिन अब अफवाहों और कई ख़बरों के अनुसार स्मार्टफोनों और स्मार्टवॉच में भी कंपनियां microLED टेक्नोलॉजी जल्दी ही लेकर आ सकती हैं। ये टेक्नोलॉजी या पैनल LCD/LED से काफी अलग है क्योंकि ये OLED डिस्प्ले की तरह ही बारीकियों के साथ अच्छी पिक्चर क्वॉलिटी देती है।

microLED डिस्प्ले में हर एक सब-पिक्सल में एक अलग रौशनी देने वाला डायोड होता है – अधिकतर ये एक लाल, हरे और नीले डायोड का एक सेट होता है जो एक डॉट के लिए होता है । माना जा रहा है कि microLED में इस बार किसी तरह की अजैविक (inorganic) मैटेरियल का इस्तेमाल होगा जैसे कि gallium nitride (GaN)।

खुद अपनी रौशनी छोड़ने वाला पिक्सल यानि कि self-emitting light जैसी तकनीक अपनाने के साथ, microLED डिस्प्ले में भी बैकलाइट की ज़रूरत नहीं होती। इसमें भी आपको OLED जैसे ही हाई कॉन्ट्रास्ट के साथ पिक्चर देखने को मिलेंगी और साथ ही इसमें ऑर्गेनिक डायोड की तरह स्क्रीन बर्न-इन जैसी समस्याओं का डर भी नहीं है।

साथ ही दूसरी चुनौती ये है कि इनकी कीमत भी काफी ज्यादा होती है। उदाहरण के लिए – Samsung की microLED TVs (146 इंच से 292 इंच) की कीमत 3.5 करोड़ से 12 करोड़ है, जो कि बहुत ही ज़्यादा है।

जैसे कि हमने पहले भी कहा, OLED या AMOLED डिस्प्ले में सबसे बड़ा फ़ायदा है कि हर पिक्सल खुद को रौशनी देने का कार्य संभालता है और इससे कंट्रास्ट लेवल बढ़ता है। साथ ही दूसरा फ़ायदा है ज़्यादा और सटीक काला रंग, जो कि डिस्प्ले पर देखते समय अच्छी पिक्चर क्वालिटी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। साथ ही जिस समय स्क्रीन कोई गहरे (डार्क) रंग की तस्वीर दिखाती है तो ये ये ऊर्जा भी कम लेते हैं।

वहीँ इनकी ख़ामियों की बात करें तो, इनको बनाने में काफी ज़्यादा लागत लगती है और कॉम्पोनेन्ट की पूर्ती करने वाली कंपनियां भी सीमित ही हैं। इनमें Samsung Display, LG Display और तीसरे नंबर पर चीन की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी BOE और कुछ एक जो OLED की मांग को पूरा करते हैं। जबकि LCD पैनल बनाने वाली काफी कम्पनियां हैं।

इसके अलावा एक और बात जो हम यहां जोड़ना चाहते हैं, समय के साथ OLED स्क्रीन के ऑर्गेनिक डायोड अपनी चमक या कहें कि योग्यता खो देते हैं और ये तब होता है जब एक ही तस्वीर ज्यादा समय तक डिस्प्ले होती है। इसे कपनियां “burn-in” का नाम देती हैं।

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आजकल बाज़ार में कई प्रकार के डिस्प्ले मौजूद हैं, जिस वजह से कुछ लोग कन्फ्यूजन में होते है कि किस प्रकार का Display वाला स्मार्टफोन लेना चाहिए, इन Displays का उपयोग बहुत से प्रोडक्ट्स में किया जाता है जैसे कि कंप्यूटर, मोबाइल स्मार्ट वाच आदि आदि.

AMOLED, OLED का ही Advanced Version है जिसका फुल-फॉर्म है Active Matrix Organic Light Emitting Diode. दोनों एक ही Machenism पर काम करते हैं इन Dispalys में Backlight नहीं होती इसके हर Pixels में खुद का एक Transister लगा होता है जिसकी वजह से Display के जिन जगहों पर Colours की जरुरत होती, Pixels वहीं की Light को ON करते है,

AMOLED डिस्प्ले मे रंग वास्तविक तो नहीं मिलते लेकिन थोड़ा Vibrant और Over Saturated Colour रहता है जो हमारे इंसानी आंखो को अत्यधिक प्रिय लगते है. ये Display बहुत ही लचीली होती है अतः जल्दी टूटती नहीं और कभी टूट गयी तो बनवाना थोड़ा महंगा पड़ जाता है।

OLED डिस्प्ले उपर के 3 Displays से अच्छे रंग दिखाता है इस वजह से कुछ महंगा है, OLED Display थोडा पतला होने के साथ साथ इसका View Angle भी अच्छा होता है,

पिछले कुछ वर्षों तक सारे Display, LCD टेक्नोलॉजी पर काम करते थे लेकिन इसका Machenism थोड़ा अलग है OLED में आपको कोई भी Backlight नहीं मिलती है जिसके कारण हल्का ओर पतला मिल जाता है।

किसी भी प्रकार के Display में इन तीन चीज़ों का होना अति आवश्यक होता है पहला - डिस्प्ले को रोशनी देने के लिए एक लाईट जिससे Display को देखा जा सके, दूसरा - कलर्स,आपको डिस्प्ले में रंग दिखाइ देगी अगर रंग ही नहीं होंगे तो पूरा डिस्प्ले सफेद दिखेगा या काला, अतः डिस्प्ले में रंगों का होना बहुत जरूरी है.

Tft display (Thin Film Transister) होता है इसको LCD Display का नया वर्शन माना जाता है क्योंकि TFT डिस्प्ले दुसरे Displays के मुकाबले सस्ता मिलता है और इसकी मोटाई भी कुछ ज्यादा होने के वजह से मोबाईल के आकर में भी फर्क आ जाता है अतःइस डिस्प्ले का इस्तेमाल पहले के Smartphones और आजकल के सस्ते Mobiles में किया जाता है,

चूंकि यह डिस्प्ले थोडा सस्ते में मिल जाता है अतः इसमें कुछ खामियां भी है रंगों और क्वालिटी के हिसाब से, अगर जब कभी आप नया फ़ोन लेने जाएँ तो ये सुनिश्चित कर लें कि मोबाइल tft डिस्प्ले वाला ना हो, क्योकि इसमें आपको थोड़ा फीका और विडियो का अनुभव ठीक से नहीं ले पाएंगे, साथ ही ये डिस्प्ले जल्दी टूट जाता है।

आईपीएस एलसीडी ये एलसीडी का ही एक रूप है इसमें भी वही टेक्नोलॉजी काम करती है जो एलसीडी डिस्प्ले में करती थी, यह डिस्प्ले आज के इस दौर में Trend में है क्योंकि ये AMOLED display के मुकाबले सस्ते और रंगों को बहुत Natural दिखाते है,

जबकि AMOLED डिस्प्ले मे Colours ज्यादा बूस्टेड और Over Saturated रहता है अगर आप भी अपने मोबाइल में एक्यूरेट कलर्स देखना चाहते है तो आपको IPS LCD Display के साथ ही जाइये.

इस Display में भी एक Backlight होता है जिसके कारण सूर्य की तेज किरणों में भी इस Display को बिना किसी दिक्कत के क्लियर देख पाएंगे, और View Angle को बढ़ाया गया है अर्थात आप जब Smartphone को कुछ Tilt भी करते है तो ठीक से देख पायेंगे,

यह Display भी AMOLED के मुकाबले सस्ती ओर TFT Display से महंगा मिल जाता है और AMOLED से कुछ कम ओर TFT से थोड़ा मोटा रहता है जिसके कारण Smartphones भी थोड़े भारी हो जाते है.

इस डिस्प्ले का Down Point ये है कि ये Backlight Technology पर काम करता है जिससे Battery भी ज्यादा खर्च होती है ओर Black Colour को Black के बजाए थोड़ा Grey Colour में दिखाता है।

बहुत से डिस्प्ले के बारे में जानने के बाद भी बहुत से लोग इसी Confusion में होंगे कि कौन सी Types of mobile display screen वाला मोबाइल लें, अगर आपके दिमाग में ये सवाल है तो फ़िक्र मत कीजिये हम आपको आपके Use के According सही डिस्प्ले की जानकारी देंगे,

अगर 3000-4000Rs.के अंदरथोड़े सस्ते मोबाइल चाहिए तो आप tft डिस्प्ले ही लें क्योंकि इस Price में किसी और Display का विकल्प ही नहीं है इसमें भी आपको अच्छा Experince मिलेगा,आपकी Budget 10K से उपर है तो आप IPS LCD का चुनाव करें क्योंकि इस कीमत में आपको AMOLED Display मुश्किल से ही मिल पाता है.

25K के उपर का बजट होगा तो AMOLED, Super AMOLED और Retina Display वाला Smartphone ले सकते है क्योंकि ये सभी Battery की खपत को कम करता है और Vibrant Colour दिखाता है जो इंसानी आंखो को अत्यधिक प्रिय लगते है ये सभी Display आंखो के लिए भी सेहतमंद होते है।

अब बारी आती है Display को सुरक्षित रखने की, एक अच्छी डिस्प्ले स्क्रीन वाला फोन ही काफी नहीं है हमें यह भी देख लेना चाहिए कि फोन में कौन सा Protector Glass लगा है, Market में आपको बहुत सारे Glass मिल जाएंगे लेकिन आज हम सिर्फ Gorilla GlassProtector ग्लास के बारे में जानकारी देंगे जो काफी कठोर ओर सबसे ज्यादा यूज़ किया जाता है.

इसका यूज़ सबसे पहले 2007 में iPhone में किया गया था, Gorilla Glass बनाने वाली Company Corning यहकभीनहीं बोलती की हमारे Glass में Scratch नहीं पड़ेगा ये जोग्लासहै वो काफी हद तक आपके Display में Scratch आने से बचाती है लेकिन एक भी Scratch ना आए ऐसा Possible नहीं है,

हमें उम्मीद है की आपको इस लेख Mobile Display Types - IPS, Retina, and AMOLED in Hindiसे काफी उपयोगी जानकारी मिली होगी. आपको हमारा यह लेख कैसा लगा हमें Comment में जरुर बताएं, साथ ही अगर लेख पसंद आया हो तो इसे Social साइट्स और दोस्तों के साथ Share करना ना भूलें

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TFT, IPS aur Super Amoled display me kaun hai best : अगर आप एक smartphone यूजर हैं। तो आपको फोन के डिसप्ले स्क्रीन के बारे में कुछ ना कुछ तो जरुर पता ही होगा। आज के डेट में डिसप्ले स्क्रीन का यूज laptop, computer से लेकर mobile तक, कई सारे डिवाइस में हो रहा है। इसी कारण डिसप्ले स्क्रीन को पहले से और ज्यादा बेहतर बनाने के लिए इनमे काफी बदलाव किये गये है।

अब हर कंपनियां ऐसी डिसप्ले स्क्रीन बनाने की कोशीस कर रही हैं। जिसे स्क्रैच और टूटने फूटने से बचाया जा सके। आज कल डिसप्ले स्क्रीन का सबसे ज्यादा यूज mobile device के लिए हो रहा है। इसी लिए आज हम यह जाने की कोशीस करेगे की, TFT, IPS aur Super Amoled display में कौन सी स्क्रीन है सबसे बेस्ट।

देखा जाये तो मार्केट में इस समय तीन तरह की डिसप्ले स्क्रीन ज्यादा मौजूद है, TFT, IPS और Super Amoled. लेकिन कई बार लोगों को ये पता ही नहीं होता है, कि कौन सी स्क्रीन सबसे बेस्ट है और वो कौन सा मोबाइल खरीदें।

इसलिए आज हम आपको TFT, IPS और Super Amoled डिसप्ले स्क्रीन के बारे में बताने जा रहे हैं। ताकि आप यह जान सके कि, कौन सी स्क्रीन है सबसे बेस्ट TFT, IPS और Super AMOLED. तो चलिए जान लेते है की, ips tft vs super amoled display which is better in hindi.

कौन सी स्क्रीन है सबसे बेस्ट TFT, IPS और Super AMOLED. चलिए एक एक करके हम लोग जान लेते है की, इन तीनो डिस्प्ले में से कौन सबसे अच्छा है। ताकि आप आसानी से यह जान सके की, कौन सी डिस्प्ले स्क्रीन वाली फ़ोन खरीदना चाहिए।

पहले के फोन में टीएफटी डिसप्ले देखने को मिलता है। ज्यादातर सस्ते और एंट्री लेवल फोन में TFT डिसप्ले लगा होता है। यह डिस्प्ले काफी सस्ता तो जरुर है। लेकिन क्वालिटी के मामले में, यह बिलकुल भी अच्छी नहीं होता है।

देखा जाये तो IPS एलसीडी और Super Amoled डिसप्ले, दोनों का ही क्वालिटी बहुत बढ़िया होता हैं। लेकिन फिर भी दोनों में काफी फर्क है। जहा IPS एलसीडी डिसप्ले थोड़ा मोटा होता है। तो वहीं Super Amoled डिसप्ले काफी पतला होता है, और इनके फोन भी पतले आते हैं।

लेकिन इसी कारण IPS एलसीडी में फोन की बैटरी भी जल्दी डाउन हो जाती है। क्योंकि जब फोन की स्क्रीन ऑन होता है। तो IPS एलसीडी भी सारी ऑन रहती है। जिसके कारण ज्यादा पावर का यूज होता है और बैटरी जल्दी डाउन हो जाता है। लेकिन वहीं दुसरी और Super Amoled display में ऐसा नहीं होता है।

सुपर एमोलेड डिसप्ले ज्यादातर हाई बजट के फोन में आते है। इसीलिए Super Amoled डिसप्ले के लिए, आपको थोड़ा महंगा फोन खरीदना पड़ेगा। सुपर एमोलेड डिसप्ले में कलर आखों के लिए अच्छे होते हैं और पिक्चर में मौजूद सभी कलर नैचुरल नजर आते हैं।

Super Amoled में IPS एलसीडी से ज्यादा चमक होती है। Super amoled screen के साथ आने वाले स्मार्टफोन की बैटरी लाइफ भी अच्छी होती है। क्योंकि फोन का सिर्फ उतना ही स्क्रीन ऑन रहता है। जितने में कलर नजर आते है। जैसे अगर आप के फ़ोन स्क्रीन पर डार्क कलर का इमेज है। तो फोन बहुत कम पावर लेगा।

आशा करता हु दोस्तों “TFT, IPS aur Super Amoled display me kaun hai sabse best”, अब आप को पता चल गया होगा। और अब आप अपने जरुरत के हिसाब से एक अच्छा डिस्प्ले स्क्रीन वाला फ़ोन ख़रीद पायेगे।

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There is a constant debate on Amoled vs LCD, which is a better display? Where Amoled display offers some remarkable colors with deep black eye-soothing contrast ratio, LCD displays offer much more subtle colors with better off-axis angles for viewing & offers a much brighter picture quality.

While purchasing a new smartphone we consider various specifications like software, camera, processor, battery, display type etc. Among all the specifications display is something that most people are concerned about. 2 of the major competitors of smartphone display are AMOLED and LCD. Often in the LCD vs Amoled comparison, people get confused about which one to choose. In this article, we have explained a clear comparison of the Amoled vs LCD screen to find out which is actually better.

Amoled display is nothing but a part of OLED display which comes with some extra features. The first component is Light Emitting Diode (LED) and the second component is "O", here "O" stands for organic & together they make OLED. The real meaning derived from it is organic material placed with 2 conductors in every LED. And this is how light is produced.

The OLED display can generate light out of individual pixels. AMOLED displays contain Thin Film Translator (TLT) which makes the overall procedure of sourcing current to the correct pixel much quicker and smoother. The TXT further helps grab control for operating different pixels at a time. For example, some pixels could be absolutely switched off though others remain on in Amoled displays. This produces a deep black color.

Speaking about LCDs, it is relatively pretty much commonly found in today"s smartphones. LCD (Liquid Crystal Display) offers a devoted black light that is white or rather slightly blueish in color. Mostly here we get a blue light that is passed through some yellowish phosphor filter which brings out the white light. The white light is subsequently passed through multiple filters and thereafter the crystal elements are again passed through blue, red & green filters. Note that LCD displays have both passive and active matrix which depends on the cost and requirement involved.

Since the process involved in LCDs is much more complex than Amoled & requires extra steps, when compared to AMOLED displays, LCDs are less battery friendly. In the technological era where energy efficiency is the first priority, Amoled displays are certainly going to be the future of display technology. But both of them come with a separate set of pros and cons and it is only by knowing the pros and cons you will be able to choose the right one.

Amoled display technology is mostly used in smartphones, media players & digital cameras. Amoled is mostly used in low power, cost-effective & large application sizes.

Cost is one of the major factors that act as a differentiator between the two display types. Amoled displays are comparatively more expensive than LCD displays because LCD displays are much cheaper to manufacture. So while buying a low-budget smartphone, the probability to get a Amoled display is pretty less.

The quality of a display is mainly measured according to the colors and sharpness it offers. Also while comparing two displays, only technology comparison won"t work because often displays behave inversely even if a manufacturer is using the very same technology. If you consider colors especially contrasting colors such as blue, red or green, Amoled will serve better throughout the day. This happens mainly because in the case of AMOLED displays, as mentioned above, every pixel present in it emit its own light whereas in LCD light comes out of the backlight. Therefore Amoled displays offer high-end saturation and vibrant colors compared to LCD displays.

As Amoled displays put out vibrant colors, you will find Amoled displays to be warmer in nature compared to LCD displays which has a more neutral whitish tint. In short, the pictures seen on Amoled displays are more eye-soothing compared to LCD displays where the pictures appear more natural.

In the Amoled vs LCD screen display comparison, another thing to consider is the brightness offered by both of them. Compared to LCD displays, Amoled displays have lesser brightness levels. This is mainly because of the backlight in LCD displays which emits a higher brightness level. Therefore if you are a person who spends most of the time outdoors and mostly uses your smartphone under the sun, then LCD is the right choice for you. Although certain leading brands are working on the brightness level in Amoled displays.

The display is one such thing that sucks your phone"s battery to a great extent. In Amoled displays, the pixels can get absolutely switched off thereby saving a lot of battery. Whereas LCD displays remain dependent on the back light, as a result even if your screen is completely black, the backlight remain switched on throughout. This is why even though Amoled displays are more expensive than LCD displays as they consume much less battery than LCD displays.

In the battle between LCD display vs Amoled display both come with separate pros and cons. Well if battery consumption and color contrast or saturation is a concern then the Amoled display is going to win over LCD display anyway. While purchasing a smartphone, customers today mainly focus on two features- lesser battery consumption and a high-quality display. Amoled display offers both the benefits- high-end vibrant display and less battery consumption. The only criteria where LCD displays win over Amoled is the brightness level. But with brands coming with the latest technologies, Amoled is certainly going to catch up with the brightness level with LCD displays. Also, the brightness difference in current Amoled display smartphones that are available in the market is hardly noticeable.

tft display vs amoled in hindi in stock

नई दिल्ली (टेक डेस्क)। स्मार्टफोन में बेहतर परफॉर्मेंस के लिए प्रोसेसर साथ-साथ डिस्प्ले भी एक मुख्य कारक माना जाता है। आपको बता दें कि स्क्रीन क्वालिटी और पिक्सल रेजोल्यूशन एक दूसरे के अनुपातिक होते हैं। लेकिन अगर पिक्सल में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक की बात की जाए तो इसे समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। अगर हम स्मार्टफोन्स की बात करें तो इनमें दो तकनीक दी गई होती हैं। पहली AMOLED और दूसरी LCD है। लेकिन क्या आप इन दोनों स्क्रीन्स में अंतर जानते हैं। अगर नहीं, तो यहां हम आपके हर सवाल का जवाब देने जा रहे हैं।

AMOLED नाम से आप यह समझ पाएंगे की यह टेलिविजन में इस्तेमाल होनी वाली OLED डिस्प्ले टेक्नोलॉजी का ही एक वेरिएंट है। सबसे पहले LED का मतलब जानते हैं। इसका मतलब Light Emitting Diode है। इसके बाद O का मतलब होता है Organic और AM का मतलब होता है Active Matrix जो किसी भी पिक्सल को बेहतर क्वालिटी देने में सक्षम होता है। AMOLED में OLED डिस्प्ले की सभी खासियतें जैसे कलर रिप्रोडक्शन, बेहतर बैटरी लाइफ, हाई ब्राइटनेस और शार्पनेस होती हैं। इसके अलावा AMOLED डिस्प्ले में TFT यानी थिन फिल्म ट्रांजिस्टर भी शामिल होता है जो पिक्सल को सही दिशा में भेजने के पूरे प्रोसेस को आसान और स्मूद बना देता है। वहीं, एक Active Matrix की मदद से TFT को अलग-अलग पिक्सल को ऑपरेट करने का कंट्रोल मिल जाता है।

LCD की बात करें तो यह स्मार्टफोन्स में सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। इसका मतलब Liquid Crystal Display है। LCD डिस्प्ले में एक डेडिकेटड व्हाइट बैकलाइट होती है। यह ब्लू टिंट के साथ आता है। क्योंकी व्हाइट लाइट सभी कलर्स का मिश्रण होता है। इसके अलावा LCD डिस्प्ले में एक्टिव और पैसिव मैट्रिक्स दोनों दिया गया होता है। किस फोन में कौन सा मैट्रिक्स दिया जाएगा यह उसकी जरुरत और कीमत पर निर्भर करता है।

अब इन दोनों स्क्रीन में से बेहतर कौन सी है यह जानना बेहद आवश्यक है। हालांकि, AMOLED डिस्प्ले को देखा जाए तो यह भविष्य के स्मार्टफोन्स के लिए बेहतर है लेकिन दोनों ही स्क्रीन्स के कुछ फायदे हैं और कुछ नुकसान। इस पोस्ट में हम आपको इन दोनों स्क्रीन्स में मुख्य फर्क क्या हैं इसकी जानकारी देने जा रहे हैं।

दोनों ही तकनीकों में पहला मुख्य अंतर कीमत है। अगर आप AMOLED डिस्प्ले वाला बजट स्मार्टफोन ढूंढ रहे हैं तो यह आपके लिए बेहद मुश्किल साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि LCD डिस्प्ले काफी सस्ती कीमत में बनाए जा सकते हैं। जबकि AMOLED या OLED डिस्प्ले को बनाने में ज्यादा कीमत देनी पड़ती है।

किसी भी डिस्प्ले की क्वालिटी उसकी शार्पनेस और कलर्स से मापी जाती है। वहीं, केवल तकनीक के आधार पर किसी डिस्प्ले को मापा नहीं जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर दो मैन्यूफैक्चरर एक ही तकनीक से किसी डिस्प्ले को बनाते हैं तो उनमें अंतर करना मुश्किल होता है और वो अलग-अलग रिजल्ट दे सकती हैं। अगर हम केवल कलर्स को देखें तो AMOLED के हाई-कॉन्ट्रासिंग कलर्स यूजर को बेहतर क्वालिटी देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि AMOLED डिस्प्ले का हर एक पिक्सल अपनी लाइट प्रोड्यूस करता है। जबकि LCD के पिक्सल की लाइट का सोर्स बैकलाइट होता है। AMOLED में ज्यादा कलर्स होते हैं जबकि LCD में व्हाइट कलर ही होता है। इसलिए ही AMOLED डिस्प्ले के कलर्स ज्यादा बेहतर होते हैं क्योंकि इसके व्हाइट्स में येलो और रेड टिंट दिया गया होता है।

इस सेगमेंट में LCD स्क्रीन विजेता रही। क्योंकि AMOLED का लो लाइट ब्राइटनेस लेवल अच्छा नहीं है। जबकि LCD इस सेगमेंट में बेहतर परफॉर्म करता है। ऐसे में अगर आप धूप में स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं तो LCD डिस्प्ले ज्यादा बेहतर रिजल्ट उपलब्ध कराता है।

बैटरी खपत मामले में फोन का डिस्प्ले भी एक अहम कारक माना जाता है। अगर AMOLED फोन में स्क्रीन बंद है तो आपकी बैटरी की खपत कम होगी। क्योंकि फोन में ब्लैक बैकग्राउंड रहता है। लेकिन LCD डिस्प्ले को एक डेडिकेटेड बैकलाइट चाहिए होती है तो ऐसे में इसमें बैटरी की खपत ज्यादा होती है। अगर LCD स्क्रीन के साथ कोई कंपनी ऑल्वेज ऑन डिस्प्ले देती है तो इससे बैटरी जल्दी खत्म होगी। इसी के चलते कंपनियां हमेशा ही AMOLED स्क्रीन के साथ ऑल्वेज ऑन डिस्प्ले देती हैं।

अगर दोनों डिस्प्ले के नुकसान और फायदे देखे गए तो AMOLED पैनल LCD पैनल को कभी भी चलन से बाहर कर सकता है। क्योंकि AMOLED में कलर बेहतर और बैटरी खपत कम होती है। लेकिन अगर ब्राइटनेस लेवल की बात की जाए तो इसमें धीरे-धीरे सुधार किया जा रहा है। हालांकि, कई मामलों में इसे दरकिनार भी कर दिया जाता है।

tft display vs amoled in hindi in stock

If you want to buy a new monitor, you might wonder what kind of display technologies I should choose. In today’s market, there are two main types of computer monitors: TFT LCD monitors & IPS monitors.

The word TFT means Thin Film Transistor. It is the technology that is used in LCD displays.  We have additional resources if you would like to learn more about what is a TFT Display. This type of LCDs is also categorically referred to as an active-matrix LCD.

These LCDs can hold back some pixels while using other pixels so the LCD screen will be using a very minimum amount of energy to function (to modify the liquid crystal molecules between two electrodes). TFT LCDs have capacitors and transistors. These two elements play a key part in ensuring that the TFT display monitor functions by using a very small amount of energy while still generating vibrant, consistent images.

Industry nomenclature: TFT LCD panels or TFT screens can also be referred to as TN (Twisted Nematic) Type TFT displays or TN panels, or TN screen technology.

IPS (in-plane-switching) technology is like an improvement on the traditional TFT LCD display module in the sense that it has the same basic structure, but has more enhanced features and more widespread usability.

These LCD screens offer vibrant color, high contrast, and clear images at wide viewing angles. At a premium price. This technology is often used in high definition screens such as in gaming or entertainment.

Both TFT display and IPS display are active-matrix displays, neither can’t emit light on their own like OLED displays and have to be used with a back-light of white bright light to generate the picture. Newer panels utilize LED backlight (light-emitting diodes) to generate their light hence utilizing less power and requiring less depth by design. Neither TFT display nor IPS display can produce color, there is a layer of RGB (red, green, blue) color filter in each LCD pixels to produce the color consumers see. If you use a magnifier to inspect your monitor, you will see RGB color in each pixel. With an on/off switch and different level of brightness RGB, we can get many colors.

Wider viewing angles are not always welcome or needed. Image you work on the airplane. The person sitting next to you always looking at your screen, it can be very uncomfortable. There are more expensive technologies to narrow the viewing angle on purpose to protect the privacy.

Winner. IPS TFT screens have around 0.3 milliseconds response time while TN TFT screens responds around 10 milliseconds which makes the latter unsuitable for gaming

Winner. the images that IPS displays create are much more pristine and original than that of